भीमताल झील की सैर (A Family Trip to Bhimtal)

शनिवार, 01 नवंबर 2014 

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यात्रा के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरह हम दिल्ली से निकलकर मुरादाबाद-हल्द्वानि होते हुए भीमताल पहुँचे ! अब आगे, मुख्य मार्ग इस झील के किनारे से होता हुआ आगे बढ़ता है, आगे जाने पर ये मार्ग दो भागों में विभाजित हो जाता है ! हम इसी तिराहे पर खड़े होकर झील की फोटो खींच रहे थे ! इस तिराहे से बाईं ओर जाने वाला मार्ग भुवाली होते हुए नैनीताल को निकल जाता है, जबकि दाईं ओर जाने वाला मार्ग भीमताल के मुख्य बाज़ार तक जाता है ! भीम ताल के बाज़ार से ऊपर की ओर एक मार्ग नौकूचियाताल चला जाता है, अब क्योंकि हमारा होटल नौकूचियाताल में था तो हमें वहाँ जाने के लिए इस झील का एक पूरा चक्कर लगाना पड़ा ! इस मोड़ से नैनीताल की दूरी लगभग 22 किलोमीटर है जबकि नौकूचियाताल यहाँ से 4 किलोमीटर दूर है ! नौकूचियाताल जाने वाली सड़क तक पहुँचने से पहले ही झील के किनारे एक जगह हमने 30 रुपए का पंचायती कर अदा किया और आगे बढ़ गए ! इस मार्ग पर थोड़ी दूर ही चले थे कि भीमताल के किनारे बने एक बड़े चबूतरे पर हमने अपनी गाड़ी खड़ी कर दी !

kathgodam to bhimtal
काठगोदाम से नैनीताल जाने का मार्ग (On the way from Kathgodam to Nainital)
चलिए, थोड़ी जानकारी इस झील के बारे में दे देता हूँ, भीमताल झील कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है, इस झील से ही आस-पास के क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है ! झील के बीचों-बीच एक मतस्य घर बनाया गया है जो यहाँ आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है ! लोग नौकायान का आनंद लेते हुए इस मतस्य घर जाते है जहाँ कई प्रजातियों की मछलियों को रखा गया है ! कई वर्ग किलोमीटर में फैली इस झील के किनारे भगवान शिव का एक मंदिर भी है ! कहा जाता है कि अपने वनवास के दौरान भीम ने इस मंदिर का निर्माण किया था, इसलिए इस मंदिर का महत्व काफ़ी बढ़ जाता है ! लोग दूर-2 से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते है ! इस समय जहाँ हम खड़े थे वहाँ से इस झील का शानदार दृश्य दिखाई दे रहा था, झील के दूसरे छोर पर एक विशाल पहाड़ था, जो इस समय हरियाली से भरा हुआ था और इसका प्रतिबिंब झील में साफ दिखाई दे रहा था ! जो दृश्य हमें उस समय झील के किनारे दिखाई दे रहा था उसे शब्दों में बयाँ कर पाना संभव नहीं है, उसे तो बस देख कर महसूस ही किया जा सकता है !

जिस चबूतरे से खड़े होकर हम ये दृश्य देख रहे थे वहाँ पास में ही खाने-पीने की भी कुछ दुकानें है जहाँ से आप मैगी, चॉकलेट और ख़ान-पान की अन्य वस्तुएँ खरीद सकते है ! थोड़ा समय झील के किनारे बिताने के बाद हम अपनी गाड़ी लेकर मुख्य सड़क पर आ गए और नौकूचियाताल जाने वाले मार्ग की ओर चल दिए ! झील के किनारे-2 भीमताल का मुख्य बाज़ार है जबकि बाज़ार के पास से ही बाईं तरफ उपर की ओर जाने वाला मार्ग नौकूचियाताल को चला जाता है ! भीमताल का बाज़ार बहुत बड़ा नहीं है, और ये रात को 8 बजे से पहले बंद भी हो जाता है, लेकिन फिर भी ज़रूरत की अधिकतर चीज़ें यहाँ मिल जाती है ! भीमताल से नौकूचियाताल जाने वाले मार्ग पर जगह-2 होटल वालों ने अपने बोर्ड लगवा रखे थे, ताकि आगंतुकों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो ! थोड़ी दूर चलने के बाद ही पैराग्लाइडिंग का एक बोर्ड भी दिखाई दिया, मतलब आप यहाँ पर पैराग्लाइडिंग का आनंद भी ले सकते है ! पता नहीं ये लोग सुरक्षा नियमों का भी पालन करते है या ऐसे ही पंख लगा कर लोगों को आसमान में उड़ने के लिए छोड़ देते है !

थोड़ी आगे जाने पर हमें अपनी दाईं ओर घाटी में पैराग्लाइडिंग करते हुए कुछ लोग दिखाई भी दिए, पता नहीं इन्हें डर नहीं लगता क्या ! खैर, हमारी आँखें इन पैराग्लाइडर्स से हटकर एक बार फिर से रास्ते में पड़ने वाले होटलों में से अपने होटल को ढूँढने लगी ! भीमताल से लगभग 3 किलोमीटर चलने के बाद हमें सड़क की दाईं ओर अपने होटल का बोर्ड दिखाई दिया ! हमने अपनी गाड़ी होटल के प्रवेश द्वार की ओर मोड़ दी, गाड़ी खड़ी करके मैं होटल के रिसेप्शन पर पहुँचा ! यहाँ मैने होटल संचालक को अपना बुकिंग पर्चा दिखाया तो उसने मुझे प्रथम तल पर दो कमरे दिखाए, जिसमें से एक कमरा मुझे पसंद आ गया ! कमरे की बालकनी से होटल के पीछे हरे-भरे पहाड़ दिखाई दे रहे थे ! कमरे की खिड़की बालकनी में ही खुल रही थी, खिड़की से पर्दे हटा देने पर बालकनी में जाने की ज़रूरत भी नहीं थी, बेड से ही शानदार नज़ारे दिखाई दे रहे थे ! नीचे रिसेप्शन पर आकर कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के साथ ही हम लोग अपना सामान लेकर अपने कमरें में चले गए !

होटल पहुँचने से पहले जब हम लोग भीमताल में झील के किनारे कुछ समय के लिए रुके थे तो उसी दौरान हमने दोपहर का भोजन कर लिया था ! लंबा और थकाऊ सफ़र होने के कारण होटल पहुँचते ही हमने अपना सारा सामान व्यवस्थित करने के बाद थोड़ी देर आराम किया ! आराम करके उठे तो शाम हो चुकी थी, हम कहीं आस-पास घूमने जाने के लिए तैयार होने लगे ! जब तैयार होकर होटल से बाहर निकले तो शाम के 6 बज रहे थे और चारों तरफ अंधेरा भी होने लगा था ! होटल में पूछ-ताछ करने पर पता चला कि अंधेरा होने के बाद तो यहाँ नौकायान भी नहीं होता और आस-पास तो झील के अलावा घूमने के लिए और कोई जगह भी नहीं है ! फिर हमने सोचा कि अब तैयार हो ही चुके है तो क्यों ना घूमने के लिए भीमताल ही चला जाए, घूमने को अगर कुछ नहीं भी मिला तो रात्रि का भोजन ही करके लौट आएँगे ! पार्किंग से गाड़ी लेकर हम भीमताल की ओर निकल पड़े, अगले 15 मिनट बाद हम सब भीमताल के मुख्य बाज़ार पहुँच चुके थे !

अंधेरा होने के कारण चारों तरफ सन्नाटा पसर चुका था ! गिनती की कुछ दुकानों को छोड़ कर लगभग सारी दुकानें भी बंद हो चुकी थी, थोड़ा मलाल तो हुआ कि काश थोड़ा समय से आ गए होते तो भीमताल घूमने को मिल जाता, पर फिर सोचा कि कोई बात नहीं अभी तो हमारे पास घूमने के लिए कई दिन है ! थोड़ी देर भीमताल के बाज़ार में टहलने के बाद हम खाना खाने के लिए एक होटल में चले गए ! होटल में इस समय ज़्यादा भीड़ ना होने की वजह से 15 मिनट बाद ही हमारा भोजन परोसा जा चुका था ! भोजन ख़त्म करते-2 साढ़े सात बज चुके थे, बिल का भुगतान करने के बाद हम लोग वापिस अपने होटल की ओर चल दिए ! आठ बजे हम अपने होटल पहुँच गए, और अगले दिन की अपनी यात्रा की योजना बनाने लगे क्योंकि आज वाली ग़लती हम दोहराना नहीं चाहते थे ! तो दोस्तो, अपना आज का सफ़र मैं यहीं ख़त्म करता हूँ, यात्रा के अगले लेख में मैं आपको नैनी झील की सैर पर लेकर चलूँगा !

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मार्ग में लिया गया एक चित्र (On the way from Kathgodam to Naukuchiatal)
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भीमताल झील का पहला दृश्य (A view of Bheemtal)
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भीमताल झील का एक और दृश्य (Beauty of Bheemtal)
naukuchiatal hotel spring birds
होटल स्र्पिंग बर्ड्स (इसी होटल में हम रुके थे) (Hotel Spring Birds, Naukuchiatal)
hotel spring birds
होटल का सार्वजनिक हाल (Dining Hall, Hotel Spring Birds)
क्यों जाएँ (Why to go Bhimtal): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो भीमताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है तो भी भीमताल का रुख़ कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Bhimtal): 
आप भीमताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में भीमताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ भी कड़ाके की ठंड पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Bhimtal): दिल्ली से 
भीमताल की दूरी महज 315 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से भीमताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप भीमताल ट्रेन से भी जा सकते है, भीमताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से भीमताल महज 20 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !  

कहाँ रुके (Where to stay in Bhimtal): 
भीमताल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है !

कहाँ खाएँ (Eating option in Bhimtal): भीमताल का बाज़ार ज़्यादा बड़ा नहीं है और यहाँ 
खाने-पीने की  गिनती की दुकानें ही है ! खाने-पीने का अधिकतर सामान तो यहाँ मिल जाएगा लेकिन अगर कुछ स्पेशल खाने का मन है तो समय से अपने होटल वाले को बता दे !

क्या देखें (Places to see near Bhimtal): 
भीमताल और इसके आस-पास घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप भीमताल से 37 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !

अगले भाग में जारी…

नैनीताल यात्रा
    1. दिल्ली से नैनीताल की एक सड़क यात्रा (A Road Trip from Delhi to Nainital)
    2. भीमताल झील की सैर (A Family Trip to Bhimtal)
    3. नैनीताल का मुख्य आकर्षण नैनी झील (Boating in Naini Lake, Nainital)
    4. नैनीताल की कुछ प्राकृतिक गुफाएं (A Visit to Eco Cave in Nainital)
    5. नौ कोनों वाली नौकूचियाताल झील (Boating in Naukuchiataal Lake)
    6. नैनीताल की सातताल झील (Sattal - An Offbeat Destination in Nainital)
    Pradeep Chauhan

    घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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